सनी देओल स्टाइल में बोले किसान, कहा- सरकार तारीख पर तारीख दे रही है..अब हम

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर किसानों का वि’रोध प्रद’र्शन जारी है। अब तक सरकार के साथ दो मीटिंग हो चुकी हैं जो असफल रहीं। वहीं अब आज एक बार फिर किसान नेताओं के साथ मीटिंग होनी है. ऐसे में अब किसान (Farmers angry On Government over meeting) काफी गुस्से में हैं और पत्रकारों से बात करते हुए एक किसान ने कहा, “सरकार बार-बार तारीख दे रही है, सभी संगठनों ने एकमत से फैसला लिया है कि आज बातचीत का आखिरी दिन है।

वहीं दूसरी तरफ दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर तीन कृषि बिलों के खिलाफ प्रद’र्शन कर रहे किसानों ने शुक्रवार को चेता’वनी दी कि अगर शनिवार को होने वाले एक और दौर की चर्चा अनिर्णायक होती है, तो वे राष्ट्रीय राजधानी में अधिक सड़कें और खाद्य उत्पादों की आपूर्ति ठ’प करके विरो’ध प्रद’र्शन को तेज करेंगे।

Kisan andolan photo

रिपोर्ट्स के मुताबिक, केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा था कि किसान आंदोलन केवल पंजाब तक सीमित है और सरकार को उम्मीद है कि शनिवार की बैठक में कुछ समाधान निकल आएगा। चौधरी ने कहा कि किसान बिल किसानों के लाभ के लिए हैं उन्होंने कांग्रेस पर सरकार के खिलाफ किसानों के साथ ष’ड्यं’त्र करने का आरोप लगाया।

दो मीटिंग में नहीं निकला कोई हल

गुरुवार को ही कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विभिन्न किसान संगठनों के 40 किसान नेताओं के समूह को आश्वासन दिया था कि सरकार किसान संगठनों की चिं’ता’ओं को दूर करने के प्रयास के तहत मंडियों को मजबूत बनाने, प्रस्तावित निजी बाजारों के साथ समान परिवेश सृजित करने और विवाद समाधान के लिये किसानों को ऊंची अदालतों में जाने की आजादी दिये जाने जैसे मुद्दों पर विचार करने को तैयार है।

पांचवे दौर की बैठक के बाद भारत बंद करेंगे किसान

आज होने वाली पांचवें दौर की बातचीत से पहले किसानों (Farmers angry On Government over meeting) ने अपना रूख और सख्त कर लिया है। केन्द्र सरकार के तीन नये कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने आठ दिसम्बर को ‘भारत बंद’ का शुक्रवार को ऐलान किया और चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली और सड़कों को बंद कर देंगे।

singhu border par kisanon ka dera

जाहिर है बीते दिन किसान नेताओं ने बड़ा एलान किया था. अगर सरकार ने कृषि कानून को वापस नहीं लिया तो भारत बंद करेंगे। देश व्यापी आंदोलन में कई राजनीतिक पार्टियां भी किसानों के समर्थन में आ चुकी हैं. किसानों के समर्थन में सीएम ममता बनर्जी ने कहा था कि, बिल वापस नहीं होते हैं तो उनकी पार्टी देश व्यापी आंदोलन करेगी। वहीं कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और सपा समेत सभी विप’क्षी दल मोदी सरकार को घे’रने का काम कर रहें हैं.

ममता बनर्जी ने दी देश व्यापी आंदोलन की चेता’वनी

सीएम ममता ने मोदी सरकार को खुली चेता’वनी दे दी है कि, अगर कृषि बिल वापस नहीं लिए जाते हैं तो उनकी पार्टी देश भर में आंदोलन करेगी। तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ने इस बारे में कई ट्वीट करते हुए केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार पर हम’ला बोला. उन्होंने लिखा है, “मैं किसानों, उनके जीवन और उनकी आजीविका के बारे में बहुत चिं’ति’त हूं. भारत सरकार को किसान विरो’धी कानून वापस लेना चाहिए. यदि वह तत्काल ऐसा नहीं करते हैं तो हम राज्य और देश भर में वि’रोध प्रद’र्शन करेंगे. शुरुआत से ही हम इन किसान विरो’धी विधेयकों का विरो’ध कर रहे हैं.”

मुख्यमंत्री बनर्जी ने कहा, “हमने शुक्रवार, चार दिसंबर को अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की एक बैठक बुलाई है. हम इस पर चर्चा करेंगे कि आवश्यक वस्तु अधिनियम से आम लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है और इससे महंगाई कितनी बढ़ रही है. केंद्र सरकार को इस जनवि’रोधी कानून को वापस लेना चाहिए.”

Mamta banerjee warn Modi government

उन्होंने कहा, “भारत सरकार हर चीज बेच रही है. आप रेलवे, एयर इंडिया, कोयला, बीएसएनएल, बीएचईएल, बैंक, रक्षा इत्यादि को नहीं बेच सकते. गलत नीयत से लाई गई विनिवेश और निजीकरण की नीति वापस लीजिए. हम अपने राष्ट्र के खजाने को भाजपा की व्यक्तिगत संपत्ति नहीं बनने देंगे.”

किसानों ने की कृषि कानून को वापस लेने की मांग

जाहिर है 3 तारीख को दूसरी बार दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसानों (farmers or minister meeting is un successful) के बीच मीटिंग हुई. किसान अपनी मांगों पर लगातार अड़े हुए हैं. सरकार की ओर से दलीलें दी जा रही है. किसान संगठन के नेताओं की ओर से कृषि कानून को वापस लेने और एमएसपी पर गारंटी की मांग की जा रही है.

farmers Protest at singhu border

विज्ञान भवन में किसान संगठनों और सरकार के बीच हुई बैठक में किसानों ने एक बार फिर तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की. किसानों के सरकार को लिखित में मांग दी. इसके साथ ही किसानों ने पराली/ वायु प्रदूषण को लेकर जो कानून आया था उसे वापस लेने की बात की. लेकिन यह मीटिंग भी असफल साबित हुई और 5 तारीख को फिर से एक मीटिंग होगी।

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