कृषि कानून का विरो’ध कर रहे किसान अब भी अपनी आवाज बुलंद किये हुए हैं. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इसको लेकर अपने आदेश दिए हैं और फिलहाल के लिए इन कानूनों पर रोक लगा दी है. साथ ही एक कमेटी का गठन किया है जिसपर अब किसानों सहमत नहीं है. दरअसल किसानों का कहना है कि, वह इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे थे, साथ ही कमेटी में जो लोग हैं वह इनके समर्थक ही हैं. ऐसे में किसान नेता राकेश टिकैत (Rakesh tikait on farm laws) ने साफ कर दिया है कि, जब तक कानून वापस नहीं होंगे वह जाएंगे नहीं।
कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को लेकर किसान संगठनों ने असहमति जताई है. किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि देश के किसान कोर्ट के फैसले से निराश हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में कमेटी ने सिफारिश की थी. गुलाटी ने ही कृषि कानूनों की सिफारिश की थी.
राकेश टिकैत ने ट्वीट किया, ‘माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा गठित कमेटी के सभी सदस्य खुली बाजार व्यवस्था या कानून के समर्थक रहे हैं. अशोक गुलाटी की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने ही इन कानून को लाये जाने की सिफारिश की थी. देश का किसान इस फैसले से निराश है.’
राकेश टिकैत (Rakesh tikait on farm laws) ने कहा कि किसानों की मांग कानून को रद्द करने व न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाने की है. जब तक यह मांग पूरी नहीं होती तब तक आंदोलन जारी रहेगा. माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का परीक्षण कर कल संयुक्त मोर्चा आगे की रणनीति की घोषणा करेगा.
‘आजतक’ से बात करते हुए राकेश टिकैत ने कहा, ‘मेरा सुप्रीम कोर्ट को धन्यवाद है कि उन्होंने सुनवाई की. किसान का नाम लिया, किसान सुप्रीम कोर्ट तक आया. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी बना दी. कमेटी के लोग कौन हैं, वो तो सरकार के ही आदमी हैं. अशोक गुलाटी नंबर एक, किसानों का मुल्जिम नंबर एक, वो इन कमेटियों को बनवाने में शामिल था. उसी की सभी रिकमंडेशन हैं सब. वो भारत सरकार की दस कमेटियों में शामिल है. वो इस तरह के फैसले करता है.’
उन्होंने कहा कि, वे किसानों के साथ बातचीत करने के बाद तय करेंगे कि सुप्रीम कोर्ट की कमेटी के पास जाएंगे या नहीं। किसान नेता टिकैत ने आगे कहा कि यदि सरकार ने जबर’दस्ती किसानों को हटाने की कोशिश की तो इसमें दस हजार लोग मा’रे जा सकते हैं। मालूम हो कि दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर पिछले डेढ़ महीने से भी ज्यादा समय से बड़ी संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं। इन किसानों की मांग तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी पर कानून बनाए जाने की है।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कोर्ट के आदेश के बाद कहा, ”हम किसानों की कमेटी में इसकी चर्चा करेंगे। 15 जनवरी को होने वाली किसान नेताओं और सरकार के बीच बातचीत में भी शामिल होंगे। जो कोर्ट ने कमेटी बनाने की बात की है, उसमें बाद में बताएंगे कि जाएंगे या नहीं, लेकिन आंदोलन जारी रहेगा। जब तक बिल वापस नहीं होगा, तब तक घर वापसी नहीं होगी।” उन्होंने कहा कि 26 जनवरी को दिल्ली में किसान परेड करके रहेगा।
राकेश टिकैत ने आगे कहा कि किसान यहां से अब कहीं नहीं जा रहा है। सरकार का आकलन है कि यहां हटाने पर एक हजार आदमी मा’रा जा सकता है। यह गलत आकलन है। यदि जब’रन हटाने की कोशिश की गई तो यहां 10 हजार आदमी मा’रा जा सकता है।
टिकैत ने कहा, ”सुप्रीम कोर्ट के आदेश से किसानों को कोई राहत नहीं मिली है। आंदोलन लंबा चलेगा। कोर्ट की तरफ से जारी समिति के नाम में सरकार से बातचीत कर रहे 40 संगठनों में से कोई भी नाम नहीं हैं।”