सर्दी में शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अभी तक जारी है. पिछले 100 दिन से अधिक समय से किसान दिल्ली के बॉर्डर्स पर बैठे हैं. यही नहीं अब किसान नेता अब देशभर में घूम-घूम कर किसानों को नए कृषि कानूनों के खिलाफ एकजुट करने में जुटे हुए हैं। इसी क्रम में शुक्रवार को भुवनेश्वर पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh TIkait angry on Modi Government) ने कहा कि सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानून बनाना पड़ेगा और तीनों कृषि कानून वापस लेना पड़ेंगे।
यही नहीं टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर हम’ला बोला और कहा कि केंद्र सरकार बहुत से नए बिल लेकर आ रही है. उन पर सरकार को बात करनी होगी। ये लु’टे’रों की सरकार है, ये देश में नहीं रहेगी, इनको जाना पड़ेगा। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी किसानों का हक है, जिसे वो लेकर रहेंगे। अपना हक पाने के लिए देशभर के किसानों को एक साथ आना होगा और इसके लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा।
टिकैत ने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जब एमएसपी पर कानून बनेगा तभी किसानों का भला होगा।
जाहिर है यह कोई पहली बार नहीं नहीं है टिकैत ने भाजपा या मोदी सरकार के खिलाफ बोला है. इससे पहले वह बंगाल में पहुंचकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं और जनता से इनको वोट न देने की अपील भी कर डाली। बीते माह टिकैत ने हरियाणा के सोनीपत में हुई एक किसान महापंचायत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं।
टिकैत ने उन्हें चे’ता’या था कि अगर तीन नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया गया तो सरकार का सत्ता में रहना मु’श्कि’ल हो जाएगा। केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में कहा था कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों से बात करने को तैयार हैं, लेकिन महज भीड़ जमा हो जाने से कानून रद्द नहीं होंगे।