किसानों के आंदोलन को करीब 115 दिन होने वाले हैं. दिल्ली के बॉर्डर पर किसान बैठे हुए हैं और गर्मी का सामना करने के लिए पूरी तैयारी भी कर रहे हैं. इधर किसान नेता अलग-अलग शहरों में जाकर महापंचायत कर किसानों को जागरूक कर रहे हैं. साथ ही अब तो राकेश टिकैत (Rakesh TIkait) समेत अन्य नेताओं ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा सा खोल दिया है और जनता से पार्टी को वोट न देने की भी अपील कर रहे हैं.
इस बीच हाल ही में टिकैत ने कहा था कि, अब किसान संसद में जाने का प्लान बना रहे हैं और वहीं पर अब फसल बेचेंगे।
इससे पहले भी टिकैत ने केंद्र सरकार पर जमकर हम’ला बोला और कहा कि केंद्र सरकार बहुत से नए बिल लेकर आ रही है. उन पर सरकार को बात करनी होगी। ये लु’टे’रों की सरकार है, ये देश में नहीं रहेगी, इनको जाना पड़ेगा। किसान नेता ने कहा कि एमएसपी किसानों का हक है, जिसे वो लेकर रहेंगे। अपना हक पाने के लिए देशभर के किसानों को एक साथ आना होगा और इसके लिए सरकार पर दबाव बनाना होगा।
टिकैत ने कहा- अब सभी किसान तैयारी कर रहे हैं, ससंद के बाहर सफल बेचेंगे। क्योंकि वहां पर सभी लोग रहते हैं तो किसानों को अच्छी कीमत मिल जायेगी। साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता तब तक किसान आंदोलन जारी रहेगा। न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानून की मांग करते हुए उन्होंने कहा कि जब एमएसपी पर कानून बनेगा तभी किसानों का भला होगा।
जाहिर है यह कोई पहली बार नहीं नहीं है टिकैत ने भाजपा या मोदी सरकार के खिलाफ बोला है. इससे पहले वह बंगाल में पहुंचकर पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं और जनता से इनको वोट न देने की अपील भी कर डाली।
बीते माह टिकैत ने हरियाणा के सोनीपत में हुई एक किसान महापंचायत में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक बयान पर पलटवार करते हुए कहा था कि जब लोग जमा होते हैं तो सरकारें बदल जाती हैं।
चुनावी राज्यों में भी लगातार किसान महापंचायतें हो रही हैं. बंगाल से लेकर असम और अन्य राज्यों में जाकर सभी नेता किसानों को साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं. टिकैत ने बंगाल में आयोजित मापंचायत में बोला था कि, वह इसी तरह से अलग-अलग शहरों में जाते रहेंगे जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं ले लेती है.