पंजाब निकाय चुनाव: BJP का सूपड़ा हुआ साफ़, कांग्रेस प्रत्याशियों की हुई शानदार जीत, देखें एक नजर

दिल्ली में किसानों का आंदोलन पिछले 80 दिनों से अधिक समय से जारी है. किसानों का गुस्सा भाजपा के खिलाफ बढ़ता जा रहा है और इसका असर भाजपा के चुनाव मतों पर देखने को मिल रहा. इसका बड़ा परिणाम पंजाब के निकाय चुनाव नतीजे बता रहे हैं. जी हां पंजाब में हुए निकाय चुनाव के परिणाम लगभग साफ हो गए हैं.

जिसमे भाजपा का सूपड़ा साफ़ होता हुआ नजर आ रहा है. तो वहीं कांग्रेस ने शानदार जीत दर्ज की है.बताया जा रहा है कि, 7 में से 5 नगर निगमों पर कांग्रेस ने कब्जा कर लिया है.

पंजाब में स्‍थानीय निकाय चुनाव 2021 में कांग्रेस का राज्‍य भर में भरी जीत मिली है। बठिंडा, कपूरथला सहित कई जगहों पर उसने अन्‍य दल के लोगों का लगभग सफाया कर दिया है। अधिकतर जिलों में तस्‍वीर साफ हो गई है। कांग्रेस ने कई नगर निगम, नगर कौंसिल और नगर पंचायतों पर कब्‍जा किया है। शिअद काे कुछ स्‍थानों पर बढ़त मिली है। शिअद को मजीठा में जीत मिली है।

मतगणना केद्रों पर भारी सुरक्षा प्रबंध किए गए हैं। कांग्रेस, शिअद, भाजपा और आप के लिए 2022 के विधानसभा चुनावों के मद्देनजर ये चुनाव बेहद अहम है। अभी तक सामने आये नतीजों के मुताबिक, पठानकोट: कांग्रेस को पूर्ण बहुमत। कांग्रेस 37, भाजपा 12, आज़ाद एक व शिरोमणि अकाली दल के खाते में एक सीट मिली है। आम आदमी पार्टी का पठानकोट और सुजानपुर में खाता भी नही खुला।

कपूरथला के कुल 50 वार्डों में से कांग्रेस 46 में विजयी। शिरोमणि अकाली दल को तीन, दो सीटों पर आजाद जीते। पटियाला के समाना में कुल वार्ड 21 में से कांग्रेस को 18, शिरोमणि अकाली दल को 2 एवं आजाद उम्मीदवार को 1 सीट मिली है। बठिंडा नगर निगम- कुल सीटें 50। कांग्रेस 43, शिअद 7 सीटें।

पंजाब निकाय चुनाव में सात नगर निगमों में पांच निगमों के नतीजे अब तक साफ दिख रहे हैं. प्राप्त जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस पार्टी ने पांच नगर निगमों में जीत हासिल की है. पार्टी ने अबोहर, बठिंडा, कपूरथला, होशियारपुर, और मोगा को जीत लिया है, जबकि बटाला और होशियारपुर में टॉप पर चल रही है.

पंजाब के निकाय चुनाव नतीजों में कांग्रेस को कृषि कानूनों की पुरजोर मुखालफत का फल मिलता दिखा है. यहां शहरी निकायों में पार्टी शानदार प्रदर्शन करती दिख रही है. वहीं शिअद और आप का प्रदर्शन उनकी उम्मीदों और दावों के मुताबिक नहीं दिख रहा, जबकि बीजेपी को इन कृषि कानूनों का खामियाज़ा होता दिख रहा है.

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