80 के दशक की एक फिल्म का गाना आज भी मशहूर है. उस गाने के बोले हैं – मेरी उम्र के नौजवानों, दिल न लगाना’ यह गाना आज भी लोगों के दिलों दिमाग में बसा हुआ है. लेकिन अब आज के समय में इस गाने पर कुछ युवाओ ने क्रिएटिविटी दिखाते हुए इस गाने को बेरोजगारी गीत में बदल दिया है. अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है. गाने में 5 युवा नजर आ रहे हैं और बड़े ही मजेदार अंदाज में देश के युवाओं की आवाज उठा रहे.
बेरोजगारी गीत का वीडियो वायरल
किशोर कुमार की आवाज में गाया गया गाना ‘मेरी उम्र के नौजवानों, दिल न लगाना, दिल न लगाना, बोलो ओम शांति ओम’ यह फिर से सोशल मीडिया पर बदले हुए रूप में सामने आया है. 1980 में आई कर्ज फिल्म के इस गाने को युवाओ ने बेरोजगारी गीत (Berojgari Song) में बदलकर एक मजेदार गाना बनाया है. यह अब तेजी से वायरल हो रहा है.
गाने के बोल हैं- मेरी उम्र के बेरोजगारों, जाती धर्म के चश्मे उतारो,.. देखो यह कमीशन दे रहे हैं हमको टेंशन. एसएससी, रेलवे हर कोई खेलता है छात्रों से खेलवे, देते नहीं हैं इंसाफ यह, बर्बाद करते साल यह, तो.. बोलों ओम नौकरी नौकरी हो नौकरी .. दो नौकरी हमको’ इसके बोल जितने मजेदार और प्रभावशाली हैं. वीडियो भी इसका उतना ही दिलचस्प है. अब यह वीडियो तेजी से हर तरफ वायरल हो रहा और लोग जिसे अपने अपने अंदाज में शेयर कर रहे.
बॉलीवुड गाने में बेरोजगारी गीत का मिश्रण
जाहिर है जब कोई बात प्रभवशाली और ज्यादा लोगों तक पहुंचानी होती है. तो वह गीत के जरिये काफी मारक और दमदार अंदाज में पहुँचती है. ऐसे में कई बार देखने को मिला है हिंदी सिनेमा के गानों को अलग अलग अंदाज में पेश किया जाता है. इसी कड़ी में अब युवाओं ने कर्ज फिल्म के इस गाने को बदलकर बेरोजगारी गीत (Berojgari Song Video) में शानदार गाना बनाया और अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की है.
मेरी उमर के बेरोजगारों
जाति धर्म के चश्मे उतारो..!! #बेरोजगारी_के_खिलाफ_भारत pic.twitter.com/mFz3gAs3VN— Amandeep Pillania (@APillania) September 20, 2023
किशोर कुमार के गाने में अपनी शानदार लिरिक्स के जरिये जनता और सरकार तक अपनी बात पहुंचाने की कोशिश की. युवाओं का यह प्रदर्शन और दिलचस्प अंदाज सोशल मीडिया पर खूब पसंद किया जा रहा है. हर कोई अब इस वीडियो को शेयर करते हुए अपनी बात आगे बढ़ा रहा. बता दें कि, इससे पहले भी इस तरह के गाने आ चुके हैं. नेहा सिंह राठौर तो अक्सर जनहित के मुद्दों को लोकगीत में बदलकर पेश करती हैं. वहीं बिहार के आदर्श आनंद भी हैं जो बेरोजगारी गीत गा चुके हैं.