कोरोना का प्रभाव जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है। वैसे-वैसे भारतीय व्यवस्था पर भी सं’कट गहराता जा रहा है। इसकी सबसे ज्यादा मार फिल्म इंडस्ट्रीज पर देखने को मिल रहा है। कई फिल्में बन कर तैयार है। लेकिन कोरोना वायरस के चलते थिएटर (Single screen theaters) बंद पड़े हैं। तो फिल्मों के बिजनेस पर सं’कट के बादल ग’हरा सकते हैं।
कोरोना लॉक डाउन का सिंगल स्क्रीन थियेटर्स और मल्टीप्लेक्स पर असर
इस मुश्किल घड़ी में मल्टीप्लेक्स तो किसी तरह पार करने की हिम्मत रखते हैं। लेकिन सिंगल थियेटरों (Single screen theaters) के लिए यह किसी सु’नामी से कम नहीं है। इससे बचना उनके लिए बेहद मुश्किल होता जा रहा है। हालांकि इस के दो पहलू हैं। पहला यह कि, अगर थियेटर बंद होते हैं और वहां के लोगों की छं’टनी होती है। तो इसका फिल्म क्षेत्र के अलावा भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी गहरा असर दिखाई देगा. दूसरा जो लोग सस्ती टिकटों की वजह से सिंगल थियेटरों में जाना पसंद करते थे। उनके सामने भी परेशानी होगी। अब बहुत ही कम लोग महंगी टिकेट्स खरीदकर मल्टीप्लेक्स में फिल्म देखने जाना प्रिफेर करेंगे।
जानिये एक्सपर्ट की राय
मनोज देसाई कहते हैं कि वाकई यह सिंगल्स थ्रिएटर (Single screen theaters) के लिए बेहद बुरा वक्त है। हमने अपने स्टाफ को मार्च-अप्रैल की पूरी सैलरी दे दी है। हालांकि अब मैं परेशान हूं। क्योंकि हमारे पास और कोई जरिया नहीं है. हम बु’री स्थिति से गुजर रहे हैं। वह कहते हैं कि, अब सरकार क तरफ से देखना होगा कि, क्या मदद मिलती है. उसके बाद ही हम मई और आगे के महीनों का सोंचेंगे कि, कैसे सबको सैलरी देनी है. वैसे आजकल कई फिल्में डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हो रही है। उससे भी हम थिएटर वालों को नुकसान होगा, बाकी देखिए आगे क्या होता।
ओपन थियेटर वाले कॉन्सेप्ट की ओर देना होगा ध्यान
सुधीर मिश्रा ने कहा है कि इस बारे में कुछ भी कहना जरा जल्दबाजी होगी कि सिंगल थियेटर्स बंद होने पर क्या होगा। वह कहते हैं कि, ओपन थिएटर वाले कांसेप्ट को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। ताकि लोग बंद कमरों में बैठने की बजाय खुले में जाकर फिल्मों को एक साथ देख सके।