कृषि कानून के खिलाफ किसानों का आंदोलन जारी है. इस आंदोलन को 100 दिन से भी अधिक का समय हो चुका है. इधर किसान नेता अलग-अलग शहरों में जाकर किसान महापंचायत भी कर रहे हैं. वहीं किसान नेताओं ने तो चुनावी राज्यों में भाजपा के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है और लोगों से अपील की जा रही है कि, वह भाजपा को वोट न दें. इस बीच अब टिकैत (Rakesh Tikait Plan for Andoalan) ने एक बार फिर इस आंदोलन को और तेज करने की बात कही है.
दरअसल हाल ही में टिकैत ने किसान आंदोलन को तेज करने के संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि किसान दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक करेंगे. पत्रकारों से बातचीत में टिकैत ने कहा कि, हम दिल्ली-नोएडा बॉर्डर को ब्लॉक करेंगे. कमेटी ने अभी तारीख तय नहीं की है.’
टिकैत ने भाजपा के खिलाफ खोला मोर्चा
टिकैत हाल ही में बंगाल में पहुंचे थे जहां उन्होंने खुलकर भाजपा के खिलाफ बोला। वह मोदी सरकार पर जमकर बरसे और किसानों से अपील की कि, कोई भी इस सरकार को वोट न दे. महापंचायत में टिकैत ने अपने संबोधन में कहा- देश को बचाना है तो इस सरकार को हटाना होगा। यानी वजह अब एक तरह से खुलकर सरकार के विरोध में उतर आये हैं.
आपको बता दें कि, इससे पहले मध्य प्रदेश के जबलपुर में राकेश टिकैत ने सोमवार को कहा कि केन्द्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन तब तक चलेगा जब तक ये कानून वापस नहीं लिए जाते और दिसंबर के बाद किसान आंदोलन में आगे की कार्रवाई के बारे में निर्णय लिया जायेगा.
अब संसद में बेचेंगे फसल- टिकैत
जबलपुर से 45 किलोमीटर दूर सीहोरा में एक रैली को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम में अपनी उपज नहीं बेचेंगे. उन्होंने कहा कि किसानों के इस आंदोलन में सत्तारुढ़ भाजपा के जो नेता शामिल होना चाहते हैं, उनका स्वागत है. उन्होंने आह्वान किया कि दिल्ली के पास चले रहे किसान आंदोलन की तरह किसान यहां भी आंदोलन करें।
वहीं पिछले हफ्ते टिकैत बंगाल भी पुहंचे थे. शनिवार को कोलकाता और नंदीग्राम में महापंचायतों को आयोजन किया. राकेश टिकैत ने कहा था, ‘संयुक्त किसान मोर्चा ने जिस दिन तय कर लिया, उस दिन संसद के सामने एक मंडी खुल जाएगी. अगला टारगेट संसद पर फसल बेचने का होगा. संसद में मंडी खुलेगी. पीएम ने कहा है कि मंडी के बाहर कही भी सब्जी बेच लो. ट्रैक्टर दिल्ली में घुसेंगे. हमारे पास साढे़ तीन लाख ट्रैक्टर हैं और 25 लाख किसान हैं.’