किसानों का आंदोलन जारी है, वह सरकार को चेतावनी भी दे चुके हैं कि, अगर सरकार ने नहीं सुनी तो वह दिल्ली के सभी रास्ते बंद कर देंगे। जाहिर है हजारों किसान दिल्ली बॉर्डर पर डेरा जमाये बैठे हैं. तो वहीं दूसरी तरफ किसानों के आंदोलन को लेकर विपक्ष लगातार केंद्र सरकार की आलोचना कर रहा है. इसी बीच अब खबर है कि, शाहीन बाग़ वाली दादी (Shaheen Bagh Dadi Reach Singhu Border) भी किसानों के बीच पहुंच गई. दादी के वहां पहुंचते ही प्रशासन में हड़’कंप मच गया.
शाहीन बाग़ वाली दादी के नाम से मशहूर बिल्किस दादी ने कहा कि हम किसानों की बेटियां हैं, हम आज किसानों के विरो’ध का समर्थन करेंगे. हम अपनी आवाज उठाएंगे, सरकार को हमारी बात सुननी चाहिए. बिलकिस दादी (Shaheen Bagh Dadi Join farmers Andolan) शाहीन बाग़ प्रद’र्शन के दौरान दुनिया भर में चर्चा में आ गई थीं. वहीं अब वह किसानों के आंदोलन में भी शामिल होने की बात कह रही हैं. इस खबर के सामने आते ही तरफ इस बात की चर्चा होने लगी. दादी अपने
यही नहीं दादी अपने बयान के अनुसार सिंघू बॉर्डर पर पहुंच भी गई। बिलकिस दादी जैसे ही किसानों के बीच पहुंची वहां पर मौजूद फ़ोर्स ने उनको हिरा’सत में ले लिया। तस्वीरें सामने आई हैं जिसमे पुलिस बिलकिस दादी को लेकर जाती नजर आ रही है. बता दें कि केन्द्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली से लगे सीमा बिंदुओं पर मंगलवार को लगातार छठे दिन डटे हैं. किसानों को आशंका है कि इन कानूनों के कारण न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त हो जाएगा. विपक्ष भी लगातार केंद्र सरकार पर हम’लावर नजर आ रहा है.
मीडिया से बातचीत करते हुए कमल हासन ने अपने राज्य के चुनाव और सीएम को लेकर भी बड़ा बयान दिया। लेकिन किसानों के मुद्दे को लेकर उन्होंने जो कहा है वह काफी चर्चा में बना हुआ है. कमल हासन ने कहा सरकार को किसानों से बात करनी चाहिए और उनकी जो मांगें हैं उनको सुने। जाहिर है इससे पहले कई और नेता केंद्र सरकार को किसानों से बात करने के लिए कह चुके हैं. बॉलीवुड और पंजाबी स्टार्स भी लगातार मांग कर रहे हैं की सरकार किसानों से बात करे.
हालांकि इधर किसानों के विरो’ध और आंदोलन के बीच सरकार ने बातचीत का न्यौता दे दिया है. लेकिन सरकार और किसान संगठनों के बीच होने वाली है इस बातचीत से क्या कुछ हल निकल सकता है उसको लेकर भी सवाल बने हुए हैं. उसकी वजह यह है कि प्रदर्शन में शामिल अलग-अलग किसान संगठन अलग-अलग बातें कर रहे हैं. कुछ किसान संगठन कृषि कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य को जोड़ने की बात कर रहे हैं तो कुछ किसान संगठन तीनों किसी कानूनों को ही रद्द करने की.
किसानों के साथ सरकार की बैठक में सरकार की कोशिश यही है कि एक बीच का रास्ता निकले. हालांकि इस बीच सूत्रों से ऐसे भी जानकारी निकल के सामने आ रही है कि सरकार किसी भी सूरत में कृषि कानून को वापस लेने को तैयार नहीं है. वहीं कुछ किसान संगठन सरकार से इसी मांग को लेकर मिलने भी जा रहे हैं ऐसे में बातचीत कैसे आगे बढ़ेगी यह अपने आप एक बड़ा सवाल है.