साल 2019 लोकसभा चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नामांकन दाखिल करने वाले बीएसएफ के बर्खा’स्त जवान तेज बहादुर (Tej Bahadur Demands to court) की याचिका पर बुधवार को सुनवाई स्थगित करने से कोर्ट ने इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह ‘बहुत महत्वपूर्ण मामला’ है.
शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ तेज बहादुर की अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. अब इसपर जल्द ही कोर्ट फैसला सुनाएगा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिका कर दी थी खा’रिज
आपको बता दें कि, जवान द्वारा दाखिल (tej Bahadur Plea in Supreme Court) की गई याचिका को हाई कोर्ट ने पहले खारिज कर दिया था. जवान का नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी ने पिछले साल एक मई को अस्वीकार कर दिया था. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस निर्णय के खिलाफ तेज बहादुर (Tej Bahadur Demands to change PM Modi Loksabha) की याचिका खा’रिज कर दी थी. बर्खा’स्त जवान ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के इस फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है. न्यायालय ने कहा कि निर्वाचन आयोग ने तेज बहादुर का नामांकन उचित तरीके से खा’रिज किया था या अनुचित तरीके से, यह उनकी पात्रता पर निर्भर करता है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने तेज बहादुर की ओर से पेश अधिवक्ता से सवाल किया, ‘हमें आपको स्थगन की छूट क्यों देनी चाहिए. आप न्याय की प्रक्रिया का दुरु’पयो’ग कर रहे हैं. आप बह’स कीजिये.’
सुनवाई स्थगित नहीं की जा सकती है
बहादुर के अधिवक्ता प्रदीप कुमार यादव द्वारा सुनवाई स्थ’गित करने या इसे बाद में लेने का अनुरोध करने पर पीठ ने कहा, ‘हम ऐसा नहीं कर सकते. यह बहुत महत्वपूर्ण मामला है. प्रतिवादी प्रधान मंत्री हैं. हमने इस मामले को पढ़ा है. आप अपने मामले में बहस कीजिये.’ पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई कई महीने पहले स्थगि’त की जा चुकी है और न्यायलाय इसे अब और स्थगित नहीं करेगा.
बहादुर के वकील ने द’ली’ल दी कि याचिकाकर्ता ने पहले वाराणसी संसदीय सीट के लिये निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था. लेकिन बाद में उसने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में पर्चा दाखिल किया. निर्वाचन अधिकारी ने पिछले साल एक मई को बहादुर का समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र रद्द कर दिया था.
पीएम का मामला है इसलिए सुन रहे हैं
सीजेआई ने याचिकाकर्ता को फट’कार लगाते हुए कहा कि हम ये मामला इसलिए सुन रहे हैं क्योंकि ये पीएम से जुड़ा है. याचिकाकर्ता के वकील ने पीएम की तरफ से पेश हो रहे वकील हरीश साल्वे से वकालतनामा देने की मांग की थी और नोटिस जारी करने की बात कही थी.
तेजबहादुर ने दो नामांकन पत्र दाखिल किए
पीएम मोदी की ओर से पेश हो रहे वकील हरीश साल्वे ने अदालत में कहा कि इन्होंने दो नामांकन पत्र दाखिल किए, एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में और एक सपा की तरफ से. एक नामांकन पत्र में इन्होंने कहा कि इन्हें नौकरी से बर्खा’स्त कर दिया गया था, और एक में ऐसी कोई जानकारी नहीं दी गई.
सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि मामला बहुत लंबे समय के लिए चल रहा है. उन्होंने खुद जस्टिस बोपन्ना के साथ 4 बार इस मामले की सुनवाई की है, तेजबहादुर के वकील ने इसके बावजूद फिर मामले की सुनवाई टालने की गुहार लगाई कि मामला बहुत संवे’दनशी’ल है लिहाजा आज सुनवाई टाल दी जाए.
जानें BSF से क्यों किया गया था बर्खा’स्त
आपको बता दें कि, तेज बहादुर को साल 2017 में सीमा सुरक्षा बल से बर्खा’स्त किया गया था. बहादुर ने एक वीडियो में आरोप लगाया था कि सशस्त्र बल के जवानों को घ’टि’या कि’स्म का भोजन दिया जाता है. निर्वाचन अधिकारी ने बहादुर का नामांकन पत्र रद्द करते समय कहा था कि उसके नामांकन पत्र के साथ निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित प्रारूप में यह प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है कि उसे भ्र’ष्टा’चार या शासन के साथ वि’श्वासघा’त करने के कारण सशस्त्र बल से बर्खा’स्त नहीं किया गया है.
अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा
तेजबहादुर के वकील ने कहा कि हमने समय मांगा था तभी तो रिटर्निंग अधिकारी ने आदेश दिया था. आदेश की प्रति लाने में वक्त लगेगा. आप तब तक सुनवाई टाल दें.
CJI ने कहा कि हम बिना वजह अब मामले की सुनवाई नहीं टालेंगे. फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री मोदी के वाराणसी से निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया.