बंगाल में विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है. इसके साथ ही अब हल’चल और तेज हो गई है. टीएमसी और भाजपा नेताओं के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर जारी है. तो वहीं दूसरी तरफ सभी पार्टियां जनता को अपने पाले में लाने में लगी हुई हैं. इस बीच अब तेजस्वी यादव (Tejashwi yadav Met Mamta) भी अचानक बंगाल पहुंचे और उन्होंने ममता दीदी से मुलाकत की.
इस मुलाकात के बाद उन्होंने टीएमसी को पूरी तरह से समर्थन देने की बात कही. साथ ही कहा कि, उनका लक्ष्य है कि, भाजपा को बंगाल में आने से रोका जाए.
जी हां बीते दिन बंगाल दौरे पर पहुंचे तेजस्वी यादव कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की. दोनों नेताओं के बीच ये मुलाकात पूर्ण रूप से चुनावी संदर्भों को लेकर थी. मुलाकात के बाद जो तस्वीर निकल कर आई वो अपने आप में काफी कुछ कह रही थी. इस मुलाकात को तेजस्वी यादव ने भी सोशल मीडिया पर शेयर किया है.
तेजस्वी ने लिखा है, केंद्र सरकार द्वारा निरंतर देश के संघीय ढां’चे और संवैधानिक संस्थाओं पर प्र’हार किया जा रहा है. देश एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है. केंद्र सरकार जन कल्याणकारी कामों को छोड़कर अपनी सहयोगी संस्थाओं के सहयोग से हर वक्त विभिन्न-विभिन्न राज्यों में चुनाव लड़ने में अधिक व्यस्त रहती है. किसी भी राज्य के विधानसभा चुनावों में कभी भी भारत सरकार और उसके सम्पूर्ण मंत्रिपरिषद का इस प्रकार की सक्रियता कभी भी नहीं देखी गयी.
हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय लालू प्रसाद जी का मानना है कि विपक्ष के लिए यह समय देश के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा, विचारधारा की प्रतिबद्दता तथा सिद्धांतों की स्थिर राजनीति का है. देश एक महत्वपूर्ण चौराहे पर खड़ा है. यह वक्त जनतंत्र हित में स्वतंत्रता, समानता, सामाजिक न्याय, आरक्षण, क्षेत्रीय संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, सांस्कृतिक पहचान और धर्मनिरपेक्षता के संवैधानिक मूल्यों को बचाने का है.
वहीं अब दोनों नेताओं (Mamta Banerjee or Tejashwi) की मुलाकात की यह तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में बनी हुई है. लोग भी इसको लेकर चर्चा कर रहे हैं और अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे. इधर तेजस्वी ने लिखा है कि देश में बंगाल की विशिष्ट पहचान है.
बंगाल के लोग बहुत ही प्रबुद्ध हैं. बंगाल की अपनी सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान है. मुझे पूर्ण विश्वास है कि बंगाल के लोग विभा’जनकारी नीति में यक़ीन रखने वाले बाहर के लोगों के हाथों बंगाली संस्कृति और पहचान को कभी भी ख़त्म नहीं होने देंगे.