सुर को’कि’ला लता मंगेशकर हमारे बीच नहीं हैं. उनके नि’धन की खबर जो भी सुन रहा है वह दुःख जताता नजर आ रहा. तो वहीं अब हर तरफ लता दीदी की पुरानी और दिलचस्प यादें लोग साझा कर उन्हें याद कर रहे हैं. जाहिर है कल उनके जाने की खबर से देश भर में शो’क की लहर दौड़ गई थी. अमिताभ बच्चन से लेकर शाहरुख़ खान और सचिन तेंदुलकर से लेकर कई अन्य बड़े दिग्गज उनके अं’ति’म दर्शन में पहुंचे.
जाहिर है उनकी आवाज जितनी मधुर थी, उसके साथ ही उनका स्वाभाव भी उतना ही सरल और सौम्य था. क्या आपको यह भी पता है कि, लता दीदी राजयसभा की सांसद भी रही हैं.
![Rajasabha MP Lata Mangeshkar story](https://filmyhungama.in9.cdn-alpha.com/wp-content/uploads/2022/02/lata-mangeshkar-smiling-face-1024x569.jpg)
जी हां लता मंगेशकर पूरे 6 साल राजयसभा की सांसद रहीं. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि, उन्होंने अपने इस 6 साल में एक भी रुपये फीस नहीं ली. इस बात को जानकार आप एक बार हैरान होंगे, लेकिन फिर लता जी की सादगी और उनके व्यवहार के का’यल हो जायेंगे.
बता दें कि, लता दीदी छह साल तक राज्यसभा सांसद रहीं. लेकिन उन्होंने इस दौरान एक बार भी वेतन नहीं लिया.
![Lata mangeshkar last pichtures](https://filmyhungama.in9.cdn-alpha.com/wp-content/uploads/2022/02/lata-mangeshkar-last-rituals.jpg)
इतना ही नहीं लता मंगेशकर ने सांसद रहते हुए कभी ऐसी कोई भी सुविधा नहीं ली थी जो बतौर सांसद दी जाती है. जानकारी के लिए बता दें कि, साल 1999 में लता मंगेशकर को राज्यसभा सांसद मनोनीत किया गया था.
लता मंगेशकर साल 2005 तक सांसद रहीं. इस दौरान बतौर सांसद उन्होंने कभी न तो वेतन लिया और न ही किसी तरह का कोई भ’त्ता.
![Lata Didi Story](https://filmyhungama.in9.cdn-alpha.com/wp-content/uploads/2022/02/lata-didi-1024x768.jpg)
यही नहीं, उन्होंने राज्यसभा सांसद रहते हुए दिल्ली में सांसदों को मिलने वाला आवास भी नहीं लिया था. बताया जाता है कि राज्यसभा सांसद रहते हुए जितनी बार भी उन्हें बतौर सांसद सैलरी का चेक दिया गया उसे हर बार उन्होंने वापस कर दिया.
लता मंगेशकर हमेशा सेट पर लोगों से बात करती रहती थीं और उनकी परेशानी को सुनने के बाद दु’खी भी हो जाती थीं. वह अक्सर सेट पर मौजूद लोगों के लिए गिफ्ट लेकर जाती थीं.
लता मंगेशकर ने संसद में भी अपनी आवाज की प्रस्तुति दी थी. मौका था स्वतंत्रता दिवस की 50वीं सालगिरह का. स्वतंत्रता दिवस की 50वीं सालगिरह के मौके पर 14-15 अगस्त 1997 को संसद पूरा भरा हुआ था.
संसद में जैसे ही उन्होंने ‘सारे जहां से अच्छा’ गाना शुरू किया तो पूरा सदन उनकी सु’री’ली आवाज से गूं’ज उठा था. वहीं अब उनके जाने के बाद हर आंख नम हो गई है और लोग उनकी हर याद को साझा कर उनको श्र’द्धां’ज’लि दे रहे.