इन दिनों फिल्म इंडस्ट्री में एक नई बहस शुरू हो चुकी है. साउथ फिल्मों की हिंदी बेल्ट में बेशुमार सफलता के कारण यह मुद्दा गरमाया हुआ है और हर कोई अपनी प्रतिक्रिया दे रहा है. इसी कड़ी में अब दिग्गज अभिनेता मनोज बाजपेयी का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने हाल ही में साउथ फिल्मों की अपार सफलता और बॉलीवुड को लेकर बड़ी बात कही है.
गौरतलब है कि, पुष्पा से शुरू हुआ सिलसिला KGF 2 तक आते आते काफी बढ़ गया है. रॉकी भाई ने तो महज 15 दिनों में पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री के अब तक के सभी बड़े रिकॉर्ड ध्व’स्त कर दिए हैं.
इसके साथ ही KGF 2 सिनेमा की तीसरी सबसे बड़ी फिल्म बन गई है. महज हिंदी में ही फिल्म ने 350 करोड़ का कारोबार कर लिया है.
तो उधर पिछले कुछ महीनों में बॉलीवुड फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर काफी संघर्ष करती नजर आ रही हैं. ऐसे में अब यह बहस शुरू हो गई है कि बॉलीवुड पर साउथ सिनेमा हावी हो रहा है.
या जनता अब बॉलीवुड स्टर्स की फिल्मों को उतना अधिक पसंद नहीं कर रहे जिसका सीधा असर फिल्म की कमाई पर देखने को मिल रहा है.
अब तक इस मुद्दे बड़े बड़े स्टार्स बोल चुके हैं. इस कड़ी में अब मनोज बाजपेयी का नाम भी जुड़ गया है. उन्होंने कहा बॉलीवुड साऊथ फिल्मों की सफलता से काफी घब’रा गया है. साथ ही यह भी कहा कि बॉलीवुड को जल्द से जल्द सीख ले लेनी चाहिए.
इसकी शुरुआत अल्लू अर्जुन की फिल्म पुष्पा ने हिंदी बेल्ट में बंपर कमाई की, इसके बाद एसएस राजामौली की फिल्म आरआरआर और केजीएफ चैप्टर 2 ने कई रिकॉर्ड तोड़े.
दोनों फिल्मों के हिंदी वर्जन 300 करोड़ कमाई कर चुके हैं और अभी भी दर्शक थिएटर पहुंच रहे हैं. हाल ही में फिल्ममेकर राम गोपाल वर्मा ने ट्वीट किया था कि नॉर्थ वाले साउथ वालों से ज’ल रहे हैं.
अब मनोज बाजपेयी ने दिल्ली टाइम्स से बातचीत में कहा, इतनी ब्लॉकबस्टर हो रही हैं, मनोज बाजपेयी और मेरे जैसे दूसरे लोगों को 1 मिनट के लिए भूल जाइए, मुंबई फिल्म इंडस्ट्री के मेनस्ट्रीम फिल्ममेकर्स कां’प गए हैं, उन्हें समझ ही नहीं आ रहा क्या करें.
मनोज बाजपेयी ने खुलकर बात की कि क्यों केजीएफ 2 और आरआरआर जैसी फिल्में हिंदी में डबिंग के बावजूद 300 करोड़ रुपये कमा ले रही हैं.
जबकि सूर्यवंशी 200 करोड़ भी नहीं कमा पा रही. मनोज मानते हैं कि इन फिल्मों की सफलता से सीख लेनी चाहिए.
यही नहीं मनोज ने आगे कहा- वे लोग पैशनेट हैं, और हर शॉ’ट ऐसे शू’ट करते हैं जैसे दुनिया का बेस्ट शॉ’ट दे रहे हों, हर शॉ’ट को ऐसे करते हैं जैसे कल्पना कर रखी हो. सब दर्शकों पर नहीं ला’द देते, क्योंकि वे अपने दर्शकों को बहुत सम्मान देते हैं.
अगर आप पुष्पा, आरआरआर और केजीएफ देखेंगे तो यह क्लीयर क’ट बनी है. हर फ्रेम ऐसे शू’ट किया गया है जैसे जीने-म’रने की सिचुएशन हो.
हम यहीं चू’क कर जाते हैं, हमने मेन स्ट्रीम फिल्मों को सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर पैसा कमाने का जरिया बना दिया है. हम इनकी आलोचना नहीं कर पाते तो इनको ‘अलग’ कहने लगते हैं.
लेकिन ये मुंबई इंडस्ट्री के मेनस्ट्रीम फिल्ममेकर्स के लिए सीख है कि मेनस्ट्रीम सिनेमा कैसे बनाया जाए. अब मनोज का यह बयान कुछ दिनों से चर्चा में बना हुआ है और लोग इसपर अपनी राय व्यक्त कर रहे.