राकेश टिकैत बोले- कृषि कानून सिर्फ व्यापारियों के पक्ष के लिए हैं, यह किसान को गुलाम बना देंगे

कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन लगातार जारी है. इस आंदोलन को करीब 100 दिन पूरे हो गए हैं. इधर आंदोलन के साथ-साथ अलग-अलग शहरों में लगातार किसान महापंचायतें भी हो रही हैं. राकेश टिकैत इनमें किसानों को समझाने की कोशिश करते नजर आ रहे हैं. साथ ही मोदी सरकार पर हम’लावर भी रहते हैं. तो वहीं टिकैत (Rakesh Tikait takes on Modi Government) सोशल मीडिया पर भी काफी एक्टिव हैं और वह लगातार कृषि कानून का विरोध जताते नजर आ रहे हैं.

हाल ही में उन्होंने कुछ ट्वीट कर एक बार फिर सरकार को घे’रा और कानूनों को व्यापारियों के हित वाला बताया। टिकैत ने लिखा- केवल व्यापारिक पक्ष के लिए बनाये कानून किसान समाज को गुलाम बना देंगे।

अनाज को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे- टिकैत

यही नहीं टिकैत ने एक अन्य ट्वीट में लिखा- रोटी पर व्यापार ब’र्दा’श्त नहीं, अनाज तिजौरी में बंद नहीं होने देंगे। भूख पर व्यापार करने वाले लोग कान खोल कर सुन ले। भूख पर रोटी की कीमत तय नही होने देंगे। रोटी को तिजोरी में बंद नहीं होने देंगे और ना ही रोटी को बाजार की वस्तु बनने देंगे। वहीं अब उनके यह ट्वीट चर्चा में बने हुए हैं और लोग भी इसपर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया देते नजर आ रहे हैं.

इसके अलावा अब किसान एक बार फिर लाखों ट्रैक्टर दिल्ली में लेकर ससंद घे’राव का प्लान बना रहे हैं. हाल ही में राकेश टिकैत ने एक महापंचनयत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा- अगर ट्रैक्टरों को रोका जाता है, तो किसानों के पास बैरिकेड्स तोड़ने की ताकत होनी चाहिए. टिकैत ने दिल्ली में चल रहे आंदोलन में शामिल होने के लिए आ रहे किसानों से यह बात कही.

ट्रेक्टर किसानों के टैंक हैं- टिकैत

रिपोर्ट के मुताबिक, नागौर जिले के किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए टिकैत ने कहा, “अगर आपको जानकारी मिलती है कि शहर में बैरिकेड हैं, तो आपके पास उन्हें हटाने के लिए पर्याप्त ताकत होनी चाहिए. ट्रैक्टर किसानों का टैंक हैं.”

टिकैत बोले- मैं रोने वाला इंसान नहीं हूं
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टिकैत ने कहा कि अगर ये कृषि कानून लागू किए जाते हैं तो अन्न व्यापारियों और बड़ी कंपनियों के गोदामों में बंद कर दिए जाएंगे और अनाज की कीमत भूख के आधार पर तय की जाएगी. उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन खत्म नहीं हुआ है. टिकरी सीमा पर 15,000 ट्रैक्टर हैं और किसानों ने पेड़ों के नीचे झोपड़ियां बना रखी हैं.

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