जब बड़े बुजुर्ग भी छूते थे 15 वर्षीय ‘सीता’ के पैर, शो के प्रसारण के वक्त ऐसा रहता था माहौल

लॉक डाउन की वजह से छोटे पर्दे पर कई टीवी शो की दोबारा वापसी हुई है। हालांकि कई ऐसे टीवी शोज भी हैं जिनका प्रसारण दोबारा से किया जा रहा है। इन कार्यक्रमों में सबसे ऊपर नाम आता है रामानंद सागर की रामायण (Ramayana Sita) का। पुरानी कार्यक्रमों की वापसी के साथ हम आज आपको उन कार्यक्रमों से जुड़े कुछ ऐसे ही किस्से बताने वाले हैं। जिनके बारे में शायद आज तक आपने ही जानते होंगे।

सोमवार से गुरुवार तक एपिसोड होता था शूट

रामानंद सागर एपिसोड को सोमवार से गुरुवार तक शूट करते थे। शुक्रवार को एडिट करते थे और रविवार सुबह ब्रॉडकास्ट लिए मुंबई भेजते। शूटिंग ज्यादातर रात को होती थी और तड़के सुबह ही पैकअप हो जाता था. याद दिला दें कि रामायण भारत में इतना लोकप्रिय हुआ था कि जब इसका पहला एपिसोड आना शुरू हुआ था। तो जो जहां होता था वही खड़ा होकर बस थम सा जाता था।

रामायण में सीता (Ramayana Sita) का किरदार दीपिका ने निभाया था। उन्हें लोग आज भी रामायण की सुपरस्टार मानते हैं। दीपिका ने एक इंटरव्यू में बताया था कि शूटिंग के दौरान बहुत गर्मी और उमस हुआ करती थी। क्योंकि तब ना तो पंखे थे और ना ही एसी। हम सब अपने सुंदर कॉस्ट्यूम में गहनों से सवेरे हुए बुत की तरह घूमते रहते थे। सेट पर हमेशा 200 से 300 लोग मौजूद हुआ करते थे।

रामायण के समय डॉक्टर छोड़ देते थे अपनी ड्यूटी, राजनेता नहीं निकालते थे रैली

आपको बता दें कि लखनऊ के एक अस्पताल में मरीजों ने इस बात की शिकायत की थी कि डॉक्टर और नर्स रामायण शुरू होते ही उन्हें छोड़कर सीरियल (Ramayana Serial) देखने चले जाते थे. वहीं राजनीतिक दलों ने भी उसी वक्त रैली निकालना बंद कर दिया था. ऐसा कहा जाता था कि, लोगों ने अपनी शादी की तारीख और समय तक बदल दिए थे. ताकि रामायण का एक भी एपिसोड उनसे मिस ना हो. गौरतलब है कि यह सीरियल रविवार सुबह 9:30 बजे आता था और तब लोग अपने टीवी पर माला डालकर बैठे थे।

रामायण में काम करने के दौरान 15 साल की थीं सीता का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री

उन दिनों को याद करते हुए दीपिका बताती हैं कि जब या धारावाहिक शुरू हुआ था। तो मैं करीब साढे 15 साल की थी और तब इस बात का तनिक भी आभास नहीं था कि हम नया इतिहास रचने वाले हैं।

Ramayana serial Star cast

रामायण की लोकप्रियता का आलम यह था कि दादा-दादी, मम्मी-पापा की उम्र के लोग आकर मेरे पैर छूते थे। मुझे बहुत बुरा लगता था लेकिन फिर समझ में आया कि यह तो उनकी आस्था है, विश्वास है वह मेरे नहीं बल्कि सीता के चरणों को स्पर्श कर रहे हैं।

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