बंगाल के रण में उतरी शिवसेना, संजय राउत बोले- पार्टी लड़ेगी बंगाल के चुनाव और भाजपा वालों को..

बंगाल में आगामी चुनाव को लेकर सियासी पारा इन दिनों काफी बढ़ा हुआ है. भाजपा और टीएमसी के बीच जहां हल’चल देखने को मिल रही है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस और लेफ्ट भी अपनी तैयारी में जुट गए हैं. इस बीच अब बंगाल के चुनावी रण में शिवसेना भी कूद गई और पार्टी ने बंगाल के विधानसभा चुनाव लड़ने का एलान कर दिया। के तरफ जहां भाजपा और टीएमसी में सीधी ट’क्कर देखने को मिल रही है. तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस ने कुछ पार्टियों को अपने साथ आकर भाजपा का सामना करने की बात भी कही. ऐसे में अब शिवसेना का भी चुनाव में उतरना बंगाल की सियसत को और तेज कर देता है.

संजय राउत ने ट्वीट कर दी जानकारी

बंगाल के विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर शिवसेना बिलकुल तैयारी में जुट गई है. पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने रविवार को ट्वीट कर यह ऐलान किया। राउत ने कहा कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से चर्चा के बाद यह तय किया गया है कि पार्टी बंगाल के चुनाव में उतरेगी। शिवसेना के चुनावी ऐलान के बाद बंगाल का सियासी पारा बढ़ना तय है।

एक तरफ भारतीय जनता पार्टी बंगाल में जहां पूरी ताकत के साथ मैदान में है, वहीं AIMIM ने बंगाल में चुनाव लड़ने की पहले ही घोषणा कर चुकी है। अब शिवसेना की एंट्री टीएमसी के लिए नई आ’फत बनकर आ गई है। जाहिर है जिस तरह से बंगाल में भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है उससे पहले ही टीएमसी के नेताओं में सुगबुगाहट तेज हो रखी है. वहीं अब शिवसेना के भी बंगाल चुनाव लड़ने के एलान के बाद सियासत और तेज हो गई है. अब देखना होगा कि, क्या आने वाले समय में राज्य में नए गठबंधन भी देखने को मिलने वाले हैं.

बंगाल में अप्रैल-मई में चुनाव होने हैं

शिवसेना की अगुवाई में महाराष्ट्र में कांग्रेस और एनसीपी के साथ महाराष्ट्र विकास अघाडी की सरकार चल रही है। बंगाल में कांग्रेस और लेफ्ट दलों का गठबंधन है। गौरतलब है कि बंगाल में अप्रैल-मई में चुनाव होने वाले हैं।

Shivsena fight Bengal Election

इसको लेकर सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और बीजेपी के बीच जोर आजमाइश चल रही है। महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी के बीच रिश्तों में भी तना’व चरम पर पहुंच गया है। इस सबके बीच शिवसेना की घोषणा बड़ा राजनीतिक प्रभाव डाल सकती है।

टीएमसी नेता बोले- भाजपा पैसे दिखाकर नेताओं को बुलबुल बना रही

पिछले कुछ दिनों से अपने बयान की वजह से आलोचनाओं का सामना कर रहे कल्याण बनर्जी ने फिर एक विवा’दित बयान दिया. उन्होंने कहा- “बीजेपी पैसों की बोरी ला रही है। 4 करोड़, 8 करोड़, 10 करोड़, 15 करोड़, 20 करोड़ लाते हैं और कहते हैं ‘नाच मेरी बुलबुल यहां पैसा मिलेगा’ और सारी बुलबुल यहां नाच रही हैं.

टीएमसी नेता बोले- भाजपा पैसे दिखाकर नेताओं को बुलबुल बना रही

यही नहीं वह कहते हैं कि, नेताओं को पैसे के साथ साथ सीएम और डिप्टी सीएम का ऑफर भी दिया जा रहा है। हालांकि, कुछ लोग यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि जाएं या नहीं क्योंकि वे सोच रहे हैं कि सभी सीएम या डिप्टी सीएम नहीं बन सकते।” वहीं अब उनका यह बयान काफी सुर्ख़ियों में बना हुआ है और लोग उनकी फिर आलोचना कर रहे हैं. जाहिर है अब तक कई बड़े नेता ममता दीदी का साथ छोड़ चुके हैं. वहीं अमित शाह ने एक रैली में कहा था कि, यह तो शुरुआत है चुनाव आते-आते पार्टी खाली हो जाएगी।

टीएमसी नेता ने कहा- हमारे साथ आ जाएं

दूसरी तरफ बंगाल में अब पार्टियां एक दूसरे के साथ गठबंधन करने की पेशकश भी कर रहे हैं. कुछ दिन पहले ऐसी खबर सामने आई थी कि, टीएमसी द्वारा अन्य पार्टियों से साथ आने की अपील की गई थी. इसपर बीजेपी ने पलटवार करते हुए कहा था कि, तृणमूल की यह पेशकश दिखाती है कि वह पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई में होने वाले संभावित विधानसभा चुनावों में अपने दम पर भगवा पार्टी का मुकाबला करने का सामर्थ्य नहीं रखती है.

बंगाल चुनाव को लेकर पार्टियों ने झोंकी ताकत

तृणमूल कांग्रेस के सांसद सौगत रॉय ने कहा, ‘‘अगर वाम मोर्चा और कांग्रेस वास्तव में बीजेपी के खिलाफ हैं तो उन्हें सांप्र’दायिक एवं विभा’जनकारी राजनीति के खिलाफ लड़ाई में ममता बनर्जी का साथ देना चाहिए. ममता बनर्जी ही बीजेपी के खिलाफ धर्मनिरपेक्ष राजनीति का असली चेहरा हैं.’’

बंगाल चुनाव को लेकर पार्टियों ने झोंकी ताकत

तृणमूल कांग्रेस के प्रस्ताव पर राज्य कांग्रेस प्रमुख अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) ने प्रदेश में बीजेपी के मजबूत होने के लिए सत्तारूढ़ दल को जिम्मेदार बताया. उन्होंने कहा, ‘‘हमें तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में कोई दिलचस्पी नहीं है.

Amit shah on CAA in Bengal

अगर ममता बनर्जी बीजेपी के खिलाफ लड़ने की इच्छुक हैं तो उन्हें कांग्रेस में शामिल हो जाना चाहिए क्योंकि वही सांप्र’दायि’कता के खिलाफ लड़ाई का एकमात्र देशव्यापी मंच है.’’ गौरतलब है कि ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने कांग्रेस से अलग होकर 1998 में तृणमूल कांग्रेस की स्थापना की थी. जाहिर है टीएमसी के कई बड़े नेताओं ने जिस तरह से ममता दीदी का साथ छोड़कर भाजपा का साथ उससे पार्टी की भी नुक्सान होता नजर आ रहा है. वहीं भाजपा मजबूत होती जा रही है.

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